चाय-चक्रम

एकहि साधे सब सधे, सब साधे सब जाय
दूध-दही-फल अन्न-जल, छोड़ पीजिए चाय

छोड़ पीजिए चाय, अमृत बीसवीं सदी का
जग-प्रसिद्ध जैसे गंगाजल गंग नदी का

कहं ‘काका’, इन उपदेशों का अर्थ जानिए
बिना चाय के मानव-जीवन व्यर्थ मानिए।

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