बहोत गहरे हो

अचानक तुम्हारे पीछे
कोई कुत्ता भौंके , 
तो क्या तुम रह सकते हो, 
बिना चौंके,  

अगर रह सकते हो  
तो या तो तुम बहरे हो, 
या फिर बहोत गहरे हो |

व्यंग्य

बिना टिकिट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर
जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर
खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू
पकड़ें टी. टी. गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू
गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार बढ़ा दिन-दूना
प्रजातंत्र की स्वतंत्रता का देख नमूना
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राशन की दुकान पर, देख भयंकर भीर
‘क्यू’ में धक्का मारकर, पहुँच गये बलवीर
पहुँच गये बलवीर, ले लिया नंबर पहिला
खड़े रह गये निर्बल, बूढ़े, बच्चे, महिला
कहँ ‘काका' कवि, करके बंद धरम का काँटा
लाला बोले - भागो, खत्म हो गया आटा
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घूस माहात्म्य

कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार
ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार
बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी
माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी
कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा
जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा

पहलवान का विवाह

एक पहलवान का होने वाला था विवाह ,
उसके दोस्तों ने दी उसे सलाह ...

लड़की से ज़रा कोमल बात करना ,
लड़की से ज़रा कोमल बात करना ,
भाभुकता भरे शब्दों की बरसात करना ..

प्रथम रात्री को पहलवान ने मुगदर घुमाया,
पलंग का बेसवा चक्कर लगाया,
और बहुत सोच समझ कर बोला,

पंजा लड़ाएगी ....!!

चल गई

वैसे तो एक शरीफ इंसान हूँ

आप ही की तरह श्रीमान हूँ

मगर अपना आंख से

बहुत परेशान हूँ

अपने आप चलती है

लोग समझते हैं -- चलाई गई है

जान-बूझ कर मिलाई गई है।


एक बार बचपन में

शायद सन पचपन में

क्लास में

एक लड़की बैठी थी पास में

नाम था सुरेखा

उसने हमें देखा

और बांई चल गई

लड़की हाय-हाय

क्लास छोड़ बाहर निकल गई।


थोड़ी देर बाद

हमें है याद

प्रिसिपल ने बुलाया

लंबा-चौड़ा लेक्चर पिलाया

हमने कहा कि जी भूल हो गई

वो बोल - ऐसा भी होता है भूल में

शर्म नहीं आती

ऐसी गंदी हरकतें करते हो,

स्कूल में?

और इससे पहले कि

हकीकत बयान करते

कि फिर चल गई

प्रिंसिपल को खल गई।

हुआ यह परिणाम

कट गया नाम

बमुश्किल तमाम

मिला एक काम।


इंटरव्यूह में, खड़े थे क्यू में

एक लड़की था सामने अड़ी

अचानक मुड़ी

नजर उसकी हम पर पड़ी

और आंख चल गई

लड़की उछल गई

दूसरे उम्मीदवार चौंके

उस लडकी की साईड लेकर

हम पर भौंके

फिर क्या था

मार-मार जूते-चप्पल

फोड़ दिया बक्कल

सिर पर पांव रखकर भागे

लोगबाग पीछे, हम आगे

घबराहट में घुस गये एक घर में

भयंकर पीड़ा था सिर में

बुरी तरह हांफ रहे थे

मारे डर के कांप रहे थे

तभी पूछा उस गृहणी ने --

कौन ?

हम खड़े रहे मौन

वो बोली

बताते हो या किसी को बुलाऊँ ?

और उससे पहले

कि जबान हिलाऊँ

चल गई

वह मारे गुस्से के

जल गई

साक्षात दुर्गा-सी दीखी

बुरी तरह चीखी

बात की बात में जुड़ गये अड़ोसी-पड़ोसी

मौसा-मौसी

भतीजे-मामा

मच गया हंगामा

चड्डी बना दिया हमारा पजामा

बनियान बन गया कुर्ता

मार-मार बना दिया भुरता

हम चीखते रहे

और पीटने वाले

हमें पीटते रहे

भगवान जाने कब तक

निकालते रहे रोष

और जब हमें आया होश

तो देखा अस्पताल में पड़े थे

डाक्टर और नर्स घेरे खड़े थे

हमने अपनी एक आंख खोली

तो एक नर्स बोली

दर्द कहां है?

हम कहां कहां बताते

और इससे पहले कि कुछ कह पाते

चल गई

नर्स कुछ नहीं बोली

बाइ गॉड ! (चल गई)

मगर डाक्टर को खल गई

बोला --

इतने सीरियस हो

फिर भी ऐसी हरकत कर लेते हो

इस हाल में शर्म नहीं आती

मोहब्बत करते हुए

अस्पताल में?

उन सबके जाते ही आया बार्ड बॉय

देने लगा अपनी राय

भाग जाएं चुपचाप

नहीं जानते आप

बढ़ गई है बात

डाक्टर को गड़ गई है

केस आपका बिगड़वा देगा

न हुआ तो मरा बताकर

जिंदा ही गड़वा देगा।

तब अंधेरे में आंखें मूंदकर

खिड़की के कूदकर भाग आए

जान बची तो लाखों पाये।


एक दिन सकारे

बाप जी हमारे

बोले हमसे --

अब क्या कहें तुमसे ?

कुछ नहीं कर सकते

तो शादी कर लो

लड़की देख लो।

मैंने देख ली है

जरा हैल्थ की कच्ची है

बच्ची है, फिर भी अच्छी है

जैसी भी, आखिर लड़की है

बड़े घर की है, फिर बेटा

यहां भी तो कड़की है।

हमने कहा --

जी अभी क्या जल्दी है?

वे बोले --

गधे हो

ढाई मन के हो गये

मगर बाप के सीने पर लदे हो

वह घर फंस गया तो संभल जाओगे।


तब एक दिन भगवान से मिलके

धड़कता दिल ले

पहुंच गए रुड़की, देखने लड़की

शायद हमारी होने वाली सास

बैठी थी हमारे पास

बोली --

यात्रा में तकलीफ तो नहीं हुई

और आंख मुई चल गई

वे समझी कि मचल गई

बोली --

लड़की तो अंदर है

मैं लड़की की मां हूँ

लड़की को बुलाऊँ

और इससे पहले कि मैं जुबान हिलाऊँ

आंख चल गई दुबारा

उन्होंने किसी का नाम ले पुकारा

झटके से खड़ी हो गईं

हम जैसे गए थे लौट आए

घर पहुंचे मुंह लटकाए

पिता जी बोले --

अब क्या फायदा

मुंह लटकाने से

आग लगे ऐसी जवानी में

डूब मरो चुल्लू भर पानी में

नहीं डूब सकते तो आंखें फोड़ लो

नहीं फोड़ सकते हमसे नाता ही तोड़ लो

जब भी कहीं जाते हो

पिटकर ही आते हो

भगवान जाने कैसे चलाते हो?


अब आप ही बताइये

क्या करूं?

कहां जाऊं?

कहां तक गुन गांऊं अपनी इस आंख के

कमबख्त जूते खिलवाएगी

लाख-दो-लाख के।

अब आप ही संभालिये

मेरा मतलब है कि कोई रास्ता निकालिये

जवान हो या वृद्धा पूरी हो या अद्धा

केवल एक लड़की

जिसकी एक आंख चलती हो

पता लगाइये

और मिल जाये तो

हमारे आदरणीय 'काका' जी को बताइये।

बाप का बीस लाख फूँक कर

लोकल ट्रेन से उतरते ही
हमने सिगरेट जलाने के लिए
एक साहब से माचिस माँगी
तभी किसी भिखारी ने
हमारी तरफ हाथ बढ़ाया
हमने कहा-
"भीख माँगते शर्म नहीं आती?"
वो बोला-
"माचिस माँगते आपको आयी थी क्‍या"
बाबूजी! माँगना देश का करेक्‍टर है
जो जितनी सफाई से माँगे
उतना ही बड़ा एक्‍टर है
ये भिखारियों का देश्‍ा है
लीजिए! भिखारियों की लिस्‍ट पेश है
धंधा माँगने भिखारी
चंदा माँगने वाला
दाद माँगने वाला
औलाद माँगने वाला
दहेज माँगने वाला
नोट माँगने वाला
और तो और
वोट माँगने वाला
हमने काम माँगा
तो लोग कहते हैं चोर है
भीख माँगी तो कहते हैं
कामचोर है
उनमें कुछ नहीं कहते
जो एक वोट के लिए
दर-दर नाक रगड़ते हैं
घिस जाने पर रबर की खरीद लाते हैं
और उपदेशों की पोथियाँ खोलकर
महंत बन जाते हैं।
लोग तो एक बिल्‍ला से परेशान हैं
यहाँ सैकड़ों बिल्‍ले
खरगोश की खाल में देश के हर कोने में विराजमान हैं।
हम भिखारी ही सही
मगर राजनीति समझते हैं
रही अखबार पढ़ने की बात
तो अच्‍छे-अच्‍छे लोग
माँग कर पढ़ते हैं
समाचार तो समाचार
लोग बाग पड़ोसी से
अचार तक माँग लाते हैं
रहा विचार!
तो वह बेचारा
महँगाई के मरघट में
मुद्दे की तरह दफन हो गया है।
समाजवाद का झंडा
हमारे लिए कफन हो गया है
कूड़ा खा रहे हैं और बदबू पी रहे हैं
उनका फोटो खींचकर
फिल्‍म वाले लाखों कमाते हैं
झोपड़ी की बात करते हैं
मगर जुहू में बँगला बनवाते हैं।
हमने कहा "फिल्‍म वालों से
तुम्‍हारा क्‍या झगड़ा है ?"
वो बोला-
"आपके सामने भिखारी नहीं
भूतपूर्व प्रोड्यूसर खड़ा है
बाप का बीस लाख फूँक कर
हाथ में कटोरा पकड़ा!"
हमने पाँच रुपए उसके
हाथ में रखते हुए कहा-
"हम भी फिल्‍मों में ट्राई कर रहे हैं !"
वह बोला, "आपकी रक्षा करें दुर्गा माई
आपके लिए दुआ करूँगा
लग गई तो ठीक
वरना आपके पाँच में अपने पाँच मिला कर
दस आपके हाथ पर धर दूँगा !"