उम्मीदवार मई भी हु - 2
नवाजो सिर्फ़ मुजे मेहरबानी फरमाकर |
और वादा करता हु एक एक से कसम खाकर |
के पाँच साल से पहले यहाँ कभी आकर |
बनूँगा बाही जे जहमत न मै किसी के लिए |
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पोपुलर मेरठी, सागर खय्यामी, रहत इन्दोरी, काका हाथरसी, हुल्लड़ मुरादाबादी, शैल चतुर्वेदी, ॐ प्रकाश आदित्य, सुरेन्द्र शर्मा , अशोक चक्रधर, प्रदीप चौबे की हास्य व्यंग रचनाए और कविताए|
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